Sunday, February 28, 2010

मौसम

बदला है कुछ आज के मौसम बदला है

नंगे बिस्तर पर अधढका बदन

ठन्डी हवा से टकरा के फिर मिला है

ज़िन्दा हूं फिर आज के मौसम बदला है

आज़ाद टांगों और ख़ुले बाज़ुओं ने

ठन्डी चादर का हर कोना फिर छुआ है

काफ़िर हूं फिर आज के मौसम बदला है

टटोलती उँगलियों और सहलाती हथेलियों ने

ठन्डी रात को महबूब फिर चुना है

जवां हूं फिर आज के मौसम बदला है